झारखंड में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) इस वित्तीय वर्ष में अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रहा है। अब तक आठ महीने बीत चुके हैं, लेकिन खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने जिलों को वार्षिक लक्ष्य जारी नहीं किया है। इसका परिणाम यह हुआ कि जिला उद्योग केंद्र और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड नए आवेदन स्वीकार करने में सक्षम नहीं हो रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में निर्धारित लक्ष्य से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से अधिकांश का निपटारा अभी तक नहीं हुआ। इस वजह से इस वर्ष भी पिछले साल के लंबित मामलों पर काम चल रहा है। इसके अलावा, बैंकों की अनिच्छा भी योजना की धीमी प्रगति का एक बड़ा कारण है। राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) के आंकड़ों के मुताबिक, बैंक नए PMEGP लोन देने में उत्साहित नहीं दिख रहे हैं।
रांची: 5 प्रोजेक्ट
धनबाद: 9 प्रोजेक्ट
बोकारो: 6 प्रोजेक्ट
पूर्वी सिंहभूम: 5 प्रोजेक्ट
पश्चिमी सिंहभूम: 4 प्रोजेक्ट
हजारीबाग: 5 प्रोजेक्ट
पलामू: 3 प्रोजेक्ट
पिछले साल प्राप्त 317 आवेदनों में से केवल 53 को ही लोन मंजूर हुआ। इस वित्तीय वर्ष में भी पुराने 317 आवेदन बैंकों को भेजे गए, लेकिन इनमें से भी सिर्फ 53 को ही मंजूरी मिली। पुराने और नए आवेदन मिलाकर अब तक सितंबर तक कुल 347 आवेदन रिजेक्ट हो चुके हैं।
डीजीएम, SLBC संतोष कुमार सिन्हा के अनुसार, “PMEGP लोन प्रक्रिया सरल तो हो गई है, लेकिन पेपरवर्क अधिक है। KVIC का नियंत्रण मुंबई से होने के कारण निष्पादन में समय लगता है। साथ ही बैंकों को सब्सिडी मिलने में भी परेशानी होती है।”
झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के चेयरमैन मदन मोहन बरियार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में स्वीकृत 280 ऋण प्रस्तावों के लिए निर्धारित सब्सिडी नहीं मिली, जिससे ऋणधारकों पर अतिरिक्त ब्याज का बोझ पड़ा और कई खाते एनपीए में बदल गए।
KVIC के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले साल तय लक्ष्य से अधिक आवेदन आने के कारण उनका निष्पादन इस वित्तीय वर्ष में किया जा रहा है। वहीं, पिछले साल की लंबित सब्सिडी इस वर्ष जारी की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सब्सिडी में देरी और बैंकों की उदासीनता मिलकर PMEGP के उद्देश्यों को प्रभावित कर रही हैं, जिससे रोजगार सृजन योजना अपेक्षित गति से आगे नहीं बढ़ पा रही है।