झारखंड में NFSA ई-केवाईसी की रफ्तार धीमी, 62 लाख लाभुक अब भी प्रक्रिया से वंचित

झारखंड में NFSA ई-केवाईसी की रफ्तार धीमी, 62 लाख लाभुक अब भी प्रक्रिया से वंचित

झारखंड में NFSA ई-केवाईसी की रफ्तार धीमी, 62 लाख लाभुक अब भी प्रक्रिया से वंचित
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By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Urvashi
: Nov 19, 2025, 3:10:00 PM

झारखंड में राशन कार्ड से जुड़े ई-केवाईसी की प्रक्रिया बेहद सुस्त चल रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के अंतर्गत केंद्र सरकार ने सभी पीएचएच और अंत्योदय राशन कार्डधारकों के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य किया था। इसकी अंतिम तिथि 30 जून 2025 तय की गई थी।

लेकिन चार महीने गुजर जाने के बाद भी स्थिति चिंताजनक है। राज्य में अभी भी 61,89,925 सदस्य ई-केवाईसी पूरा नहीं कर पाए हैं, जो कि झारखंड के कुल 2.63 करोड़ लाभुकों का लगभग 23.53% है। अब तक केवल 76.47% लोगों ने ही यह प्रक्रिया पूरी की है।

इन जिलों में सबसे ज्यादा ई-केवाईसी लंबित

कई जिले ई-केवाईसी पूर्णता के मामले में काफी पीछे हैं। सबसे अधिक पेंडिंग मामले इन जिलों में हैं—

  • धनबाद – 4,95,218

  • गिरिडीह – 4,91,004

  • पलामू – 4,74,729

  • पश्चिमी सिंहभूम – 4,11,421

  • रांची – 3,90,775

अन्य जिलों में भी बड़ी संख्या में लाभुक प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए हैं:

  • बोकारो – 2,19,357

  • चतरा – 2,23,684

  • देवघर – 2,38,531

  • दुमका – 2,81,533

  • पूर्वी सिंहभूम – 3,36,978

  • गढ़वा – 3,15,903

  • गोड्डा – 3,05,290

  • गुमला – 2,09,716

  • हजारीबाग – 2,87,847

  • जामताड़ा – 1,71,959

  • खूंटी – 1,07,870

  • कोडरमा – 94,281

  • लातेहार – 1,48,814

  • लोहरदगा – 97,593

  • पाकुड़ – 1,67,519

  • रामगढ़ – 1,15,686

  • साहेबगंज – 2,32,013

  • सरायकेला-खरसावां – 2,20,740

  • सिमडेगा – 1,51,464

तकनीकी खामियाँ बनी सबसे बड़ी चुनौती

ई-केवाईसी की धीमी रफ्तार के पीछे मुख्य कारण तकनीकी समस्याएँ हैं। कई स्थानों पर—

  • पुरानी 2G ई-पॉस मशीनें,

  • कमजोर इंटरनेट नेटवर्क,

  • तथा सर्वर फेल होने जैसी दिक्कतों

की वजह से लाभुकों को लंबी लाइनों में इंतज़ार करना पड़ता है।

सब्सिडी पर पड़ सकता है असर

केंद्र सरकार पहले ही चेतावनी दे चुकी है कि समय पर ई-केवाईसी अपडेट न होने पर राज्यों को मिलने वाली खाद्यान्न सब्सिडी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में झारखंड सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि लाखों लंबित ई-केवाईसी के कारण गरीब परिवारों के राशन वितरण में कोई रुकावट न आए।