झारखंड पुलिस मुख्यालय ने डीजीपी एवं आईजीपी कॉन्फ्रेंस 2024 की अनुशंसाओं के कार्यान्वयन संबंधी लंबित रिपोर्ट न भेजने पर सख्त निर्देश जारी किए हैं। मुख्यालय ने संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों (SP) को 24 घंटे के भीतर पूरी और विस्तृत रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है।
पुलिस मुख्यालय ने 19 नवंबर को जारी आदेश में स्पष्ट किया कि यह रिपोर्ट पहले 9 सितंबर को मांगी गई थी, लेकिन अब तक कई जिलों और इकाइयों ने अपेक्षित जानकारी प्रदान नहीं की है।
रिपोर्ट में मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है:
1. तकनीकी दक्षता वाले कर्मियों का डाटाबैंक और क्षमता निर्माण:
मुख्यालय ने विशेष रूप से डीजीपी-आईजीपी कॉन्फ्रेंस 2024 की अनुशंसा संख्या 20 के लागू होने की स्थिति जानने की मांग की है। इसमें शामिल हैं:
क्या तकनीकी पृष्ठभूमि वाले या तकनीक में रुचि रखने वाले पुलिसकर्मियों का डाटाबैंक तैयार किया गया है?
यदि हां, तो इसे नियमित रूप से अपडेट किया जा रहा है या नहीं?
ऐसे कर्मियों की वर्तमान संख्या कितनी है और उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए कौन-सा प्रशिक्षण तंत्र, पाठ्यक्रम या कार्यशालाएं उपलब्ध कराई गई हैं?
तकनीक-प्रेमी पुलिसकर्मियों की सेवाओं का उपयोग किन क्षेत्रों में किया जा रहा है, जैसे साइबर सुरक्षा, डेटा विश्लेषण, डिजिटल फोरेंसिक, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग आदि।
2. पुलिस-जनसंख्या अनुपात की वर्तमान स्थिति:
मुख्यालय ने स्थानीय स्तर तक पुलिस-जनसंख्या अनुपात की स्थिति पर भी रिपोर्ट मांगी है। इसमें शामिल हैं:
राज्य में कुल पुलिस-जनसंख्या अनुपात वर्तमान में कितना है?
प्रत्येक थाना स्तर पर नागरिकों और पुलिसकर्मियों का अनुपात क्या है?
पुलिस-जनसंख्या और नागरिक-जनसंख्या अनुपात बढ़ाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं?
विशेष ध्यान देने योग्य है कि 2014 के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में यह अनुपात केवल 20 प्रति लाख था, जबकि संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक मानकों के अनुसार यह 300 प्रति लाख से अधिक होना चाहिए।
मुख्यालय का यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि पुलिस बल की तकनीकी दक्षता और पर्याप्त जनसंख्या अनुपात कानून-व्यवस्था बनाए रखने में प्रभावी भूमिका निभा सके।