डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (DSPMU) के कॉमर्स विभाग में फीस बढ़ोतरी के विरोध में छात्रों का रोष लगातार बढ़ता जा रहा है। आंदोलन के दूसरे दिन भी अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट छात्र कॉलेज प्रशासन के खिलाफ तालाबंदी और धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रदर्शन में कॉमर्स विभाग के छात्रों के साथ-साथ आदिवासी छात्र संघ और आइसा के सदस्य भी शामिल होकर अपना समर्थन दे रहे थे।
छात्रों का आरोप है कि वे कई महीनों से बढ़ी हुई फीस में कटौती और विभाग में बेहतर सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन उनकी सुनवाई नहीं कर रहा है। उनका कहना है कि न तो फीस में कोई कमी हुई है और न ही बुनियादी सुविधाओं में सुधार किया गया है।
एमकॉम के छात्र वसीम अंसारी ने बताया कि डेढ़ से दो महीने पहले हुए आंदोलन में प्रशासन ने जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि "कुलसचिव कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया जा रहा है, लेकिन इसे छात्रों के साथ साझा नहीं किया जा रहा। इससे स्पष्ट है कि यह सिर्फ एक दिखावा है।"
इसी दौरान आइसा की कार्यकर्ता संजना मेहता ने भी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि इतने लंबे समय से छात्र आंदोलन कर रहे हैं, फिर भी कॉलेज प्रबंधन उनकी बात सुनने को तैयार नहीं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कमेटी की रिपोर्ट पर तभी कार्रवाई होगी जब छात्र उग्र प्रदर्शन करें? उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन केवल अपनी जेब भरने में व्यस्त है और विद्यार्थियों की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रखता।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। कुलसचिव धनंजय द्विवेदी और डीन ऑफ स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ. सर्वोत्तम कुमार ने कहा कि छात्रों की मांगों को ध्यान में रखते हुए पहले ही एक कमेटी बनाई गई थी। उन्होंने बताया कि कमेटी की रिपोर्ट तैयार हो चुकी है और इसके आधार पर छात्रों के हित में निर्णय लिया जाएगा।
दूसरे दिन प्रदर्शन के दौरान छात्र कुलपति के समक्ष अपनी बात रखने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कुलपति उपस्थित नहीं हुए। फिलहाल छात्र यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जब तक उनके मुद्दों का ठोस समाधान नहीं किया जाता, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।