बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी ने एक नई रणनीतिक चाल चलते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी राकेश कुमार मिश्रा को दरभंगा सदर विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है। तीन दशकों से अधिक समय तक पुलिस सेवा में रहकर अपनी ईमानदार और कठोर कार्यशैली के लिए पहचान बनाने वाले आर.के. मिश्रा अब राजनीति के मैदान में उतरने जा रहे हैं।
सहरसा जिले के बनगांव निवासी मिश्रा की शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी बेहद मजबूत रही है। उन्होंने आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और बाद में देश की कई शीर्ष सुरक्षा एजेंसियों जैसे आईटीबीपी, सीआईएसएफ और सीआरपीएफ में एडीजी के पद पर कार्य किया।
जमशेदपुर में दिखी सख्त छवि
मिश्रा का नाम पहली बार सुर्खियों में तब आया जब वे जमशेदपुर (तत्कालीन बिहार) के एसपी बने। 19 फरवरी 1999 से 26 जून 2000 तक उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई संगठित अपराधों पर नकेल कसी। हरि सावा हत्याकांड को सुलझाकर उन्होंने न केवल अपराधियों को बेनकाब किया बल्कि कई प्रभावशाली लोगों को भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया। उस समय यह मामला राजनीतिक हलकों में बड़ा मुद्दा बना था, खासकर तब जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सभा साकची आमबगान में होने वाली थी।
नक्सलवाद और आंतरिक सुरक्षा के विशेषज्ञ
अपने सेवा काल में मिश्रा ने नक्सलवाद, संगठित अपराध और आंतरिक सुरक्षा जैसे गंभीर विषयों पर ठोस रणनीति बनाई। झारखंड और त्रिपुरा जैसे संवेदनशील इलाकों में उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए।
सम्मान और समाजसेवा से जुड़ाव
अपनी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक सहित कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने समाजसेवा का रास्ता नहीं छोड़ा और शिक्षा के क्षेत्र में आरके मिशन स्कूल के संचालन में सक्रिय भूमिका निभाई।
अब जब आर.के. मिश्रा जन सुराज पार्टी के टिकट पर राजनीति में उतर रहे हैं, तो यह देखना रोचक होगा कि क्या उनकी प्रशासनिक साख और ईमानदार छवि उन्हें जनता के बीच भरोसे का चेहरा बना पाएगी।