टिकट बंटवारे से नाराज JDU सांसद अजय मंडल ने दिया इस्तीफा, नीतीश कुमार को सौंपी चिट्ठी

भागलपुर के जेडीयू सांसद अजय कुमार मंडल ने पार्टी नेतृत्व को इस्तीफा देने की अनुमति के लिए पत्र भेजा है। उन्होंने अपनी चिट्ठी में टिकट बंटवारे और स्थानीय नेतृत्व की अनदेखी पर नाराज़गी जताई है।

टिकट बंटवारे से नाराज JDU सांसद अजय मंडल ने दिया इस्तीफा, नीतीश कुमार को सौंपी चिट्ठी
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By : स्वराज पोस्ट | Edited By: Karishma Singh
: Oct 14, 2025, 1:04:00 PM

बिहार में एनडीए के बीच सीट शेयरिंग मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि अब जेडीयू में टिकट बंटवारे को लेकर घमासान छिड़ गया है। भागलपुर के जेडीयू सांसद अजय कुमार मंडल ने पार्टी नेतृत्व को इस्तीफा देने की अनुमति के लिए पत्र भेजा है। उन्होंने अपनी चिट्ठी में टिकट बंटवारे और स्थानीय नेतृत्व की अनदेखी पर नाराज़गी जताई है। 

सांसद अजय मंडल ने एक्स हैंडल पर ट्वीट कर कहा कि सीएम नीतीश कुमार जी सांसद पद से त्यागपत्र देने हेतु अनुमति प्रदान कीजिए। स्थानीय सांसद होने के बावजूद टिकट देने में मेरी किसी भी प्रकार की सलाह नहीं ली गई है। इसलिए मेरा सांसद पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। वहीं, भागलपुर जिले के ही जेडीयू विधायक गोपाल मंडल मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि उनका टिकट काटने की साजिश हो रही है और मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया जा रहा है। 

जानकारी के मुताबिक, सांसद अजय कुमार मंडल ने 14 अक्टूबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी नेतृत्व को भेजे पत्र में लिखा है कि पिछले 20-25 सालों से वे संगठन और जनता की सेवा कर रहे हैं, लेकिन अब उनके क्षेत्र में टिकट बंटवारे को लेकर उनकी राय को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी के कुछ लोग उनके लोकसभा क्षेत्र में टिकट बांटने का काम कर रहे हैं और संगठन में समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है।

आपके आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन से मैं विगत लगभग 20-25 वर्षों से भागलपुर क्षेत्र में विधायक एवं सांसद के रूप में जनता की सेवा करता आ रहा हूं। इस लंबे राजनीतिक जीवन में मैंने जेडीयू को अपने परिवार की तरह समझते हुए इसके संगठन, कार्यकर्ताओं और जनसंपर्क को सुदृढ़ करने का काम किया है। भागलपुर एवं नवगछिया जिले में जिला अध्यक्ष, प्रभारी और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर हमेशा पार्टी की मजबूती के लिए कार्य करता रहा हूँ। परंतु विगत कुछ माह से संगठन में ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जो पार्टी और उसके भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।

विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण की प्रक्रिया में स्थानीय सांसद होने के बावजूद मुझसे कोई सलाह या चर्चा नहीं की जा रही है। जिन व्यक्तियों ने कभी पार्टी संगठन के लिए कार्य नहीं किया, उन्हें टिकट देने की बात सामने आ रही है, जबकि जिला अध्यक्ष एवं स्थानीय नेतृत्व की राय को पूरी तरह अनदेखा किया जा रहा है।

जब मैं 2019 में सांसद बना था उस समय पूरे बिहार में विधानसभा उपचुनाव जेडीयू ने जितने भी सीटों पर लड़ा था तब पूरे बिहार में केवल मेरा ही सीट मेरे नेतृत्व में विधानसभा उपचुनाव जीत सुनिश्चित हुआ था। यह जनता दल (यू०) के प्रति मेरी निष्ठा और जनता के विश्वास का प्रतीक है। आज जब पार्टी के कुछ लोग मेरे ही लोकसभा क्षेत्र में टिकट बांटने का काम कर रहे हैं और संगठन की अनदेखी कर रहे हैं, तब यह स्थिति अत्यंत दुखद है।

मुझे आपसे मिलने तक नहीं दिया जा रहा है, न ही मेरी राय को सुना जा रहा है। ऐसे में मेरे लिए यह समझना कठिन हो रहा है कि जब संगठन में समर्पित कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेतृत्व की राय का कोई महत्व नहीं रह गया है, तो मैं अपने आत्मसम्मान और पार्टी के भविष्य की चिंता करते हुए सांसद पद पर बने रहने का क्या औचित्य है। मेरा उद्देश्य किसी प्रकार की नाराजगी या विरोध नहीं है, बल्कि पार्टी और आपके नेतृत्व को भविष्य में किसी हानि से बचाना है। अगर इसी तरह बाहरी या निष्क्रिय लोगों को प्राथमिकता दी जाती रही तो पार्टी की जड़ें कमजोर होंगी और इसका सीधा असर माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व पर पड़ेगा, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय है। इसलिए, आत्मसम्मान और संगठन के प्रति सच्ची निष्ठा के साथ मैं आपसे विनम्र अनुरोध करता हूँ कि मुझे अपने सांसद पद से त्यागपत्र देने की अनुमति प्रदान करें।