लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दूसरे दिन, रविवार को व्रतियों ने पूरे दिन उपवास रखने के बाद शाम को खरना किया. खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है. अब सोमवार यानी आज छठ व्रत करने वाले महिला-पुरुष व्रती विभिन्न छठ घाटों पर पहुंचकर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर (डूबते सूर्य) को पहला अर्घ्य देंगे. इसके बाद, मंगलवार की सुबह उदीयमान सूर्य (उगते सूर्य) को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का विधिवत समापन हो जाएगा
छठ पूजा का पहला अर्घ्य (अर्घ्य देने का समय) इस प्रकार है:
पहला अर्घ्य (संध्याकालीन अर्घ्य):
दिन: 27 अक्टूबर, सोमवार
समय: शाम 5:10 बजे से शाम 5:58 बजे तक (अस्ताचलगामी सूर्य को)
दूसरा अर्घ्य (प्रातःकालीन अर्घ्य):
दिन: 28 अक्टूबर, मंगलवार
समय: सुबह 5:33 बजे से सुबह 6:30 बजे तक (उदीयमान सूर्य को)
सनातन परंपरा में पंचदेवों में से एक भगवान सूर्य को सौभाग्य और आरोग्य का देवता माना गया है, जिनके उदय होते ही पूरे जगत का अंधकार दूर हो जाता है. ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का राजा और आत्मा का कारक माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, उन्हें जीवन में बड़ी सफलता और सम्मान प्राप्त होता है. ऐसा जातक को उच्च पद की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में हमेशा सुख-सौभाग्य और आरोग्य बना रहता है. आइए छठ पूजा के पावन मौके पर भगवान भास्कर का आशीर्वाद बरसाने वाली आरती का गान करते हैं.
छठी मइया का संबंध षष्ठी तिथि से है. छठी मइया को ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन कहा जाता है. लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मइया उर्वरता और समृद्धि की देवी हैं. बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई इलाकों में विशेष रूप से संतान की रक्षा और परिवार की समृद्धि के लिए छठ पूजा की जाती है. मान्यता है कि छठी मइया संतान की रक्षा करती हैं और पूरे परिवार के जीवन में उजाला भरती हैं, ठीक वैसे ही जैसे सूर्य अपनी रोशनी से धरती को जीवन देता है.